
हाइलाइट्स
कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप चुनाव को लेकर भाजपा सक्रिय
खास रणनीति बनाकर पार्टी नेताओं को दिए तैयारियों के निर्देश
गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद चुनावी सरगर्मी हुई तेज
नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप चुनाव को लेकर खास रणनीति बनाई है और जेडीएस (JDS) पर अपने हमले तेज कर दिए हैं. इन चुनावों में भाजपा अल्पसंख्यकों के बीच अपनी छवि को बदलने की कोशिश कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह (Home Minister Amit Shah) के हालिया बयान को चुनावी कर्नाटक (Karnataka Assembly Elections) और साथ ही 2024 के लोकसभा चुनावों की बड़ी पृष्ठभूमि के संदर्भ के साथ देखा जा रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने कर्नाटक दौरे में कहा था कि जेडीएस और कांग्रेस में ज्यादा अंतर नहीं है. शाह ने कहा था कि जो पार्टियां 30-35 सीटें जीतती हैं और ‘ब्लैकमेल’ का सहारा लेती हैं, ऐसी पार्टियों को लंबे समय तक मौका नहीं देना चाहिए. जद (एस) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भी भाजपा पर पलटवार किया है. हालांकि जेडीएस को भाजपा के पूर्व सहयोगी के तौर पर देखा जा रहा था और ऐसा माना जा रहा था कि चुनाव के बाद दोनों के साथ आ सकती हैं. दिसंबर में पीएम नरेंद्र मोदी, दिल्ली में बीमार एचडी देवेगौड़ा को देखने भी पहुंचे थे.
मैसूर क्षेत्र की सीटों से जीतने के लिए भी तैयारी
गृह मंत्री अमित शाह का बयान वोक्कालिगा समुदाय के कई भाजपा नेताओं के लिए एक संकेत था. इसी समुदाय से जद (एस) सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा संबंधित हैं. पुराना मैसूर क्षेत्र की सीटों से जीतने के लिए भी तैयारी की जा रही है. भाजपा नेता ने कहा है कि ऐसी संभावना है कि आने वाले चुनाव में भाजपा अकेले की दम पर चुनाव लड़ सकती है. पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस क्षेत्र की राजनीति को समझने से पता चलता है कि कुछ लोगों की मदद करने के बदले में, पुरानी मैसूरु की अधिकांश सीटें अन्य दलों के पास चली गईं थीं. इस क्षेत्र से 89 विधायक विधानसभा आते हैं. 2008 में भाजपा ने इस क्षेत्र में केवल 28 सीटें जीतीं थीं. 2018 में बीजेपी पुरानी मैसूर की 89 सीटों में से सिर्फ 22 पर जीत हासिल कर सकी थी. अब गृह मंत्री अमित शाह का बयान यह संकेत है कि यहां के नेता अपनी दम पर तैयारियां करें.
अपने पक्ष में अल्पसंख्यक वोटों को एकजुट कर रहीं हैं पार्टियां
अमित शाह की नजर मुस्लिम वोटों पर है. कर्नाटक में कांग्रेस के नेताओं ने भी यह स्वीकार किया था कि कांग्रेस ने हमेशा जद (एस) – विशेष रूप से इसके नेता कुमारस्वामी को, जो भाजपा के साथ गठबंधन के प्रमुख के रूप में मुख्यमंत्री बने; को भाजपा की ‘बी टीम’ के रूप में पेश किया है. इससे कांग्रेस को अपने पीछे अल्पसंख्यक वोटों को एकजुट करने में मदद मिलती है. यदि भाजपा यह बताने में सफल हो जाती है कि उसका जद (एस) से कोई लेना-देना नहीं है, तो कम से कम अल्पसंख्यकों का कुछ वर्ग जो उसके समर्थक हैं, पार्टी के साथ चले जाएंगे – इस प्रकार मुस्लिम वोट विभाजित हो सकते हैं.
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Tags: BJP, Home Minister Amit Shah, JDS, Karnataka Assembly Elections
FIRST PUBLISHED : January 17, 2023, 05:00 IST