
पुणे में भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट हर साल तब महाभारत का प्रकाशन करता था. लेकिन इसमें जब उसे आर्थिक तौर पर दिक्कत आने लगी तो इस संस्थान कई लोगों से मदद मांगी. जो लोग इस काम में आगे आए, उसमें हैदराबाद के निजाम भी थे. उन्होंने 11 बरसों तक लगातार हर साल 1000 रुपए की इसकी आर्थिक मदद 1932 से लेकर 1943 तक की. इसके साथ ही इस संस्थान के गेस्ट हाउस के निर्माण में 50,000 हजार रुपए की मदद की. ये रिकॉर्ड्स आंध्र प्रदेश व तेलंगाना स्टेट आर्काइव्स एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में हैं. जिसमें भंडारकर इंस्टीट्यूट के सचिव की अप्लीकेशन पर निजाम ने गेस्ट हाउस के निर्माण पर पहले 25,000 रुपए दिए और इतनी ही रकम इसके बाद भी.