Deprecated: Implicit conversion from float 351.5 to int loses precision in /home/u322908015/domains/feedaddy.com/public_html/wp-content/plugins/heading-image-generator/heading-image-generator.php on line 124
Deprecated: Implicit conversion from float 375.5 to int loses precision in /home/u322908015/domains/feedaddy.com/public_html/wp-content/plugins/heading-image-generator/heading-image-generator.php on line 124
इंदापुर (महाराष्ट्र):
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) ने कहा है कि 2004 में कांग्रेस के साथ गठबंधन में राज्य में सरकार बनाते समय जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा छोड़ दिया था तभी उन्हें अपने चाचा (शरद पवार) से अलग हो जाना चाहिए था. अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार के पक्ष में पुणे जिले के इंदापुर में एक चुनावी रैली में अजित पवार ने कहा कि जब उनके चाचा ने कोई अप्रत्याशित राजनीतिक कदम उठाया तो उसे रणनीति कहा गया है लेकिन उनके अपने राजनीतिक निर्णय को विश्वासघात करार दिया गया.
यह भी पढ़ें
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने सुनेत्रा को बारामती लोकसभा सीट पर निवर्तमान सांसद एवं राकांपा (शरद पवार) की प्रत्याशी सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है. सुप्रिया सुले अजित पवार की चचेरी बहन हैं.
अजित पवार ने कहा, ‘‘(1978 में) जब उन्होंने (शरद पवार ने) यशवंतराव चव्हाण की सलाह को नहीं मानकर वसंतदादा पाटिल सरकार गिरा दी थी तब मैंने उन पर सवाल नहीं खड़ा किया था जबकि चव्हाण ने उन्हें (शरद पवार) राजनीति में पहला मौका दिया था. (मैंने तब भी सवाल नहीं उठाया) जब उन्होंने 1999 में सोनिया गांधी के विदेशी मूल का प्रश्न खड़ा किया था और कांग्रेस को विभाजित कर दिया और फिर, बाद में उसी साल राज्य में सरकार गठन के लिए सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ हाथ मिला लिया.”
कांग्रेस मुख्यमंत्री का पद देने को तैयार थी : अजित पवार
अजित पवार ने दावा किया कि 2004 में जब राकांपा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अधिक सीट जीती थी तब उसकी सहयोगी कांग्रेस मुख्यमंत्री का पद शरद पवार की पार्टी को देने के लिए तैयार थी.
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमने अतिरिक्त मंत्री पद लिये और मुख्यमंत्री का पद त्याग दिया. तब भी मैं चुप रहा. अब मैं महसूस करता हूं कि अब जो मैंने किया है (यानी चाचा के खिलाफ बगावत), वह मुझे 2004 में ही कर देना चाहिए था.”
अजित पवार ने कहा कि 2014 में कांग्रेस और राकांपा अलग-अलग विधानसभा चुनाव लड़ी और शरद पवार ने ‘रणनीति’ के नाम पर भाजपा की अल्पमत सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया.
उन्होंने सवाल किया, ‘‘आपका राजनीतिक कदम रणनीति है और मेरे राजनीतिक कदमों को विश्वासघात की संज्ञा दी गयी?”
वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव के बाद राकांपा ने कुछ समय के लिए बाहर से भाजपा को समर्थन दिया था क्योंकि शिवसेना और भाजपा के बीच सत्ता साझेदारी फार्मूले पर तब तक सहमति नहीं बन पायी थी. बाद में शिवसेना देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल हो गयी.
यह देश का भविष्य तय करने वाला चुनाव : अजित पवार
अजित पवार ने दावा किया कि 2017 और 2019 में भी जब राकांपा-कांग्रेस-शिवसेना की गठबंधन सरकार के गठन के लिए बातचीत चल रही थी, तब भी राकांपा की ओर से भाजपा के साथ हाथ मिलाने की समानांतर कोशिश चल रही थी.
उन्होंने कहा, ‘‘यह चुनाव पारिवारिक रिश्तों के लिए नहीं है बल्कि यह देश का भविष्य तय करने वाला चुनाव है…… सवाल यह है कि आप प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी को चाहते हैं या राहुल गांधी को. हमें देश के विकास पर ध्यान देना होगा, भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और एक महाशक्ति बनाना होगा.”
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी विकास पुरुष है. कांग्रेस ने 70 साल में राजमार्ग क्यों नहीं बनवाये?”
बारामती पवार परिवार का गढ़ है. इस सीट पर सात मई को मतदान होगा.
ये भी पढ़ें :
* NDTV इलेक्शन कार्निवल: बारामती में पवार बनाम पवार, बहू या बेटी में से किसे चुनेगा शरद पवार का गढ़?
* Exclusive: महाराष्ट्र में NDA के लिए उतना आसान नहीं, जितना 2014 और 2019 में था- छगन भुजबल
* अजित पवार की टिप्पणी आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ: निर्वाचन अधिकारी
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)