
नई दिल्ली : न्यायपालिका और कानून से जुड़े मुद्दों पर बीते कुछ वक्त से मुखर रहे केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने हाल ही ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हुए एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि सरकार और न्यायपालिका (Judiciary) के बीच कोई महाभारत नहीं है, लोकतंत्र में वाद-विवाद और चर्चा तो होगी ही. यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत के मुख्य न्यायधीश डी वाय चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) के हमेशा संपर्क में रहते हैं और छोटे से लेकर जटिल मामले तक उनसे चर्चा करते हैं.
अपने बयान में रिजिजू ने पूर्व मुख्य न्यायधीश एन वी रमन्ना के लिखे एक पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि न्यायधीश सोशल मीडिया पर आलोचना का शिकार होते हैं और वह फैसला सुनाते वक्त सावधानी बरतते हैं. हालांकि रिजिजू ने अपने भाषण यह भी कहा कि न्यायधीशों को दोबारा चुनाव का सामना नहीं करना होता है.
तीस हजारी में हुए कार्यक्रम में बोल रहे रिजिजू ने पूर्व मुख्य न्यायधीश रमन्ना के पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां तक कि न्यायाधीश भी इन दिनों थोड़े सतर्क हो गए हैं. वह ऐसा फैसला नहीं देंगे, जो समाज में एक मजबूत प्रतिक्रिया का कारण बने. आखिरकार न्यायाधीश भी इंसान है और इसका (लोकविचार) प्रभाव उन पर भी पड़ता है. रिजिजू ने कहा कि पूर्व मुख्य न्यायधीश ने सोशल मीडिया पर न्यायधीशों की आलोचना से निपटने के लिए एक कानून की मांग की थी. कानून मंत्री ने कहा कि जब एक बड़ी संख्या की सोशल मीडिया तक पहुंच हो तो आप कुछ नहीं कर सकते हैं.
आगे उन्होंने न्यायधीशों की नियुक्ति की तुलना आम चुनाव से करते हुए कहा कि न्यायाधीश एक बार न्यायाधीश बन गए तो बन गए, उन्हें बार बार चुनाव का सामना नहीं करना होता है, जनता उनका आकलन नहीं कर सकती है, इसलिए मैं कहता हूं कि जनता ने उन्हें चुना नहीं तो उन्हें बदल भी नहीं सकती है, लेकिन जनता उन्हें, उनके फैसलों, किस तरह से वह काम करते हैं यह सब को देख ज़रूर रही है.
कानून मंत्री ने कहा कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच कोई तनाव नहीं है, अगर किसी विषय पर कोई चर्चा कोई वाद-विवाद ही नहीं होगा तो फिर यह लोकतंत्र किस बात का, लेकिन कुछ लोग सरकार और न्यायपालिका के मतभेदों को इस तरह पेश करते है जैसे दोनों के बीच कोई महाभारत छिड़ी हो.
मुख्य न्यायधीश चंद्रचूड़ को भेजे गए एक अलग पत्र का हवाला देते हुए, (जिसमें नियुक्ति के लिए न्यायाधीशों को शॉर्ट-लिस्ट करने की प्रक्रिया में एक सरकारी नामित को शामिल करने का “सुझाव” दिया गया था), रिजिजू ने कहा कि ऐसा करना उनका “दायित्व” था. उन्होंने कहा, ‘मैंने 2015 की पांच जजों की बेंच में मुद्दों को आगे बढ़ाते हुए एक पत्र लिखा था, 2015 में , पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को पेश करने वाले संवैधानिक संशोधन को “असंवैधानिक” करार दिया था.
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Tags: Judiciary, Kiren rijiju
FIRST PUBLISHED : January 24, 2023, 10:55 IST