2024 में अगर सबसे ज्यादा चर्चित फिल्म का जिक्र होगा तो इसकी शुरुआत राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर की स्त्री-2 से होगी और शायद खत्म भी इसी से हो क्योंकि अभी तक इस लेवल की सक्सेस हासिल कर सकने वाली कोई फिल्म नहीं दिख रही है. स्त्री और स्त्री-2 के बारे में आप सब कुछ जानते हैं. दोनों ही फिल्मों में श्रद्धा कपूर स्त्री बनकर पर्दे पर आईं. इसलिए लोग उन्हें ही स्त्री समझेंगे और कहेंगे लेकिन आज हम आपको हिंदी सिनेमा की पहली स्त्री से मिलवाने जा रहे हैं और ये श्रद्धा कपूर नहीं हैं.
श्रद्धा कपूर नहीं तो कौन है पहली स्त्री ?
आप सोच रहे होंगे कि श्रद्धा से पहले कौन था जिसने पहली स्त्री का टाइटल अपने नाम किया हुआ है. ये आज की नहीं बल्कि बहुत ही पुरानी बात है. दरअसल साल 1961 में स्त्री नाम से एक फिल्म आई थी. इस फिल्म में संध्या लीड रोल में थीं. इस तरह आप कह सकते हैं कि बॉलीवुड की या हिंदी सिनेमा की पहली स्त्री संध्या थीं.
स्त्री नाम से आई इस फिल्म को दिग्गज फिल्मकार वी शांताराम ने डायरेक्ट किया है. वी शांताराम को हिंदी सिनेमा के दर्शक सबसे ज्यादा दो आंखें बारह हाथ फिल्म के लिए पहचानते हैं. फिल्म में उन्होंने लीड रोल निभाने के साथ-साथ इसे डायरेक्ट भी किया था. यह एक कलर फिल्म थी. इस फिल्म में संध्या ने फीमेल लीड रोल निभाया था. इनके अलावा राजश्री और मुमताज एक अहम रोल में नजर आई थीं.
फिल्म की बात करें तो यह एक फैंटेसी बेस्ड कहानी पर थी. इसकी कहानी कालीदास के नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम से इंस्पायर्ड थी. फिल्म का म्यूजिक सी रामचंद्र ने दिया था जबकि गानों को आवाज लता मंगेशकर और महेंद्र कपूर ने दी थी. यह फिल्म 34वें एकेडमी अवॉर्ड्स की बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म कैटेगरी में भारत की ऑफिशियल एंट्री भी थी. हालांकि अवॉर्ड स्वीडिश फिल्म थ्रू अ ग्लास डार्कली को मिला था.
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