
हाइलाइट्स
याचिका में कहा- मासिक धर्म के बारे में व्याप्त मिथक के कारण लाखों लड़कियों को जल्द ही स्कूल छोड़ना पड़ता है
गरीब पृष्ठभूमि की 11 से 18 साल की छात्राओं को शिक्षा हासिल करने में गंभीर समस्या
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के सरकारी स्कूलों में छठी से 12वीं कक्षा में पढ़ रही लड़कियों को निशुल्क सैनिटरी पैड दिए जाने वाली याचिका पर सुनवाई की. इस याचिका पर कोर्ट ने सोमवार को केंद्र, राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से जवाब मांगा है. शीर्ष न्यायालय ने मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मदद मांगते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़कियों की साफ-सफाई का महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा ने सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर की याचिका पर गौर किया और केंद्र सरकार तथा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए. मध्य प्रदेश की रहने वाली जया ठाकुर पेशे से चिकित्सक हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से जनवरी के दूसरे सप्ताह तक जवाब मांगा है और निर्देश दिया है कि याचिका की प्रति राज्यों को उनके स्थायी अधिवक्ताओं के जरिये भिजवाएं.
याचिका में आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं का जिक्र
अधिवक्ता वारिंदर कुमार शर्मा की ओर से दायर ठाकुर की याचिका में कहा गया कि गरीब पृष्ठभूमि की 11 से 18 साल की छात्राओं को शिक्षा हासिल करने में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है, जबकि शिक्षा हासिल करना अनुच्छेद 21 ए के तहत उनका संवैधानिक अधिकार है. याचिका में कहा गया है कि लैंगिक समानता हासिल करने के लिए यह अहम है कि लड़कियां अपनी शैक्षणिक सामर्थ्य को साकार करने में सक्षम हों.
माहवारी के अवधि छात्राओं के लिए मुश्किल
याचिका में कहा गया कि मासिक धर्म के बारे में व्याप्त मिथक के कारण लाखों लड़कियों को या तो जल्द ही स्कूल छोड़ना पड़ता है या फिर इस माहवारी की अवधि के दौरान उन्हें अलग-थलग रहना पड़ता है.
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Tags: Government School, New Delhi news, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : November 28, 2022, 22:49 IST