Earthquake Frequency: नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने कहा कि मंगलवार दोपहर नेपाल में 5.8 तीव्रता का भूकंप आया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी झटके महसूस किए गए. 2022 की दूसरी छमाही के बाद से इस क्षेत्र में कुछ इसी तरह के भूकंप देखे गए हैं. हर भूकंप अपने साथ लोगों में डर का उचित हिस्सा लेकर आता है. औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण दुनिया जलवायु आपदाओं के एक क्षेत्र में बदलते जा रहा है, इस पर वैश्विक चर्चाएं हो रही है.
स्ट्रेट्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल लगभग 15 बड़े भूकंप आते हैं जिनकी तीव्रता 7.0 से अधिक होती है. सिंगापुर की पृथ्वी वेधशाला के वरिष्ठ शोध साथी डॉ करेन लिथगो ने बताया कि 2022 के पहले दस महीनों में केवल सात ऐसे भूकंप दर्ज किए गए थे, जो दर्शाता है कि इन आपदाओं की आवृत्ति सामान्य सीमा के भीतर है. उन्होंने बताया कि सांख्यिकीय आंकड़े के अनुसार 2023 के अंत तक कुछ बड़े भूकंप दर्ज हो सकते हैं, क्यूंकि हर साल कम से कम 15 बड़े भूकंप आते हैं लेकिन 2022 के 10 महीने तक केवल केवल 7 ही झटके महसूस किये गए थे.
भूकंप के झटको की कोई समय सीमा नहीं
भूकंप के बड़े झटकों का कोई समय सीमा नहीं होती है. ये कुछ दिनों के अंतराल या फिर हफ़्तों या महीनों के बाद भी हो सकती हैं. लेकिन किसी देश एक ही तारीख को तीन बड़े भूकंप के झटके आने असंभव हैं लेकिन ऐसा हो भी सकता है. ऐसा मैक्सिको में हुआ है- 19 सितंबर को, पहला झटका 1985 में दूसरा 2017 में और तीसरा 2022 में लेकिन सभी देश के अलग-अलग भागों में.
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भूकंप के क्या कारण हो सकते हैं?
पृथ्वी का धरातल प्लेटों से मिलकर बना है, जिन्हे हम प्लेट विवर्तनिकी (Tectonic) के नाम से जानते हैं. अधिकांशतः भूकंप या पृथ्वी की धरातलीय गतिविधियां इन प्लेटों के किनारे पर होती हैं, क्यूंकि ये प्लेटें हमेशा एक दूसरे के विरूद्ध, एक दूसरे से दूर या फिर एक दूसरे से रगड़ते हुए गतिमान रहती हैं. इनके वजह से इनके किनारे पर फॉल्ट जोन बनता है. जब ये गति घर्षण पर काबू पा लेते हैं, तो ये खंड टूट जाते हैं, जिससे पृथ्वी के अंदर की तरंगे अचानक से बाहर आने की कोशिश करती हैं, जो भूकंप का रूप ले ले लेती हैं.

प्लेट टेक्टोनिक: धरती के प्लेटों में गति का रेप्रेजेंटेटिव. (फोटो-न्यूज़18)
जलवायु परिवर्तन का भूकंप में योगदान!
स्ट्रेट्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन अधिक व्यापक रूप से देखाजा रहा है, लेकिन हाल के किसी भी भूकंपीये घटनाओं में इनका होने की संभावना नहीं है. हालाँकि, कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन का भूकंप जैसी भूवैज्ञानिक घटनाओं पर मामूली प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन प्रभाव काफी हद तक स्थानीय होंगे. पृथ्वी पर बर्फ के आवरण में कमी भूकंप के कारण माने जा सकते हैं.

स्विटजरलैंड के इवोलीन के पास फेरपेकल में मोंट माइन ग्लेशियर में बर्फ पिघल कर पानी में बदलता हुआ. (फोटो-रायटर्स)
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
ध्रुवीय क्षेत्रों में, ग्लेशियर और स्थायी बर्फ की चादरें पहाड़ों पर अत्यधिक दबाव डालती हैं, जिससे यह नीचे की ओर मुड़ जाती है. लेकिन जब बर्फ पिघलती हैं, ऊपरी भाग भारमुक्त हो जाता है, जिससे धरती फिर पुनः धीरे-धीरे अपना स्थान लेने की कोशिश करेंगी. लेकिन पृथ्वी का ये प्रतिघात भूगर्भीय फॉल्ट का कारण बन सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप भूकंप आ सकते हैं, हालांकि ये बर्फीले क्षेत्रों तक सीमित रहेंगे.
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Tags: Earthquake, Earthquake News, Earthquakes
FIRST PUBLISHED : January 24, 2023, 21:41 IST