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नई दिल्ली :
लंबे समय से चल रही राजनीतिक खींचतान के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) ने आखिरकार कांग्रेस (Congress) छोड़ दी. वे महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना में शामिल हो गए. उनके इस्तीफे की घोषणा उस दिन हुई जिस दिन पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले समर्थन जुटाने के लिए पूर्वोत्तर से 6,200 किलोमीटर की यात्रा शुरू की है.
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मिलिंद देवड़ा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया क्योंकि वह “विकास के पथ” का समर्थन करना चाहते थे. हालांकि ऐसे कई कारण हैं जिनके चलते उन्हें उस पार्टी से नाता तोड़ने का फैसला लेना पड़ा, जिससे उनका परिवार 55 सालों से जुड़ा था.
Today marks the conclusion of a significant chapter in my political journey. I have tendered my resignation from the primary membership of @INCIndia, ending my family’s 55-year relationship with the party.
I am grateful to all leaders, colleagues & karyakartas for their…
— Milind Deora | मिलिंद देवरा (@milinddeora) January 14, 2024
सूत्रों ने मिलिंद देवड़ा और महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के बीच बढ़ते मनमुटाव को उनके इस्तीफे के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण बताया. ऐसा लगता है कि पार्टी में आंतरिक असहमति की स्थिति ने उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए प्रेरित किया. उनका यह फैसला महाराष्ट्र में पार्टी की चुनावी रणनीति को नया आकार दे सकता है.
कांग्रेस की बदकिस्मती के बीच देवड़ा का जाना पार्टी नेतृत्व के निचले स्तर के साथ गांधी परिवार के अलगाव और उनकी दुर्लभता को भी उजागर करता है. यह पार्ची के युवा नेता स्वीकार नही कर पा रहे हैं.
मिलिंद देवड़ा ने हाल ही में विपक्षी गठबंधन का हिस्सा शिवसेना (यूबीटी) द्वारा मुंबई दक्षिण सीट पर दावा करने पर नाराजगी जताई थी. वे चाहते थे कि पिछले दो चुनावों में सावंत से हार के बावजूद यह सीट कांग्रेस के पास बनी रहे.
पार्टी बदलने के बाद देवड़ा कथित तौर पर बीजेपी और शिवसेना समर्थकों के संयुक्त वोट शेयर के साथ मुंबई दक्षिण में जीत हासिल करने को लेकर आशान्वित हैं. सूत्र बताते हैं कि अगर बीजेपी यह सीट जीतने में सफल होती है, तो देवड़ा को राज्यसभा सीट की पेशकश की जा सकती है.
बड़े कारोबारियों के साथ देवड़ा के संबंधों के कारण उन्हें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का भी समर्थन मिला. केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान देवड़ा आर्थिक मुद्दों पर एक उदार आवाज थे और व्यापार और दिल्ली के राजनीतिक हलकों में उनके घनिष्ठ संबंध थे.
मुंबई दक्षिण लोकसभा क्षेत्र में मराठी और मुस्लिम मतदाताओं का एक अच्छा मिश्रण है. इस पर बीजेपी के राहुल नार्वेकर और मंगल प्रभात लोढ़ा की भी नजर है.
कांग्रेस ने दावा किया है कि देवड़ा के पार्टी छोड़ने का समय बीजेपी द्वारा ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को पटरी से उतारने के लिए तय किया गया था. मिलिंद देवड़ा “सिर्फ एक कठपुतली” हैं.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “उन्होंने (देवड़ा) कहा कि उन्हें चिंता है कि यह मौजूदा शिवसेना की सीट है. वह राहुल गांधी से मिलना चाहते थे और उन्हें सीट के बारे में बताना चाहते थे और यह भी चाहते थे कि मैं इस बारे में गांधी से बात करूं. जाहिर तौर पर यह सब एक दिखावा था. उन्होंने जाने का मन बना लिया था. उनके जाने की घोषणा का समय स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित किया गया था.”